हिमाचल प्रदेश सरकार घोड़ों पर इस्तेमाल होने वाली गैरकानूनी काँटेदार लगाम के खिलाफ शिकंजा कसेगी
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3 January 2020
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PETA इंडिया की शिकायत पर राज्य पशुपालन विभाग ने आदेश जारी किए
शिमला – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा हाल ही में दिये गए पत्र जिसमे कहा गया है की हिमाचल प्रदेश में घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर काँटेदार लगाम का इस्तेमाल हो रहा है, वह प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू ड्राट एंड पैक एनिमल रूल्स, 1965 अधिनियम के नियम 8 के तहत इस तरह की लगाम का इस्तेमाल गैरकानूनी है, अतिरिक्त मुख्य सचिव के निर्देश का पालन करते हुए राज्य के पशुपालन विभाग के निदेशक ने सभी जिला उप निदेशकों को अपने जिलों में इस कानून के सभी प्रावधानों को लागू करने तथा कार्यवाही की रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है।
PETA इंडिया ने अपने पत्र में इंगित किया था कि पशुपालन एवं डेयरी उद्योग द्वारा वर्ष 2019 में आयोजित 20वीं पशु जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में घोड़ों और खच्चरों की आबादी लगभग 0.25 लाख है। शादियों और घुड़सवारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए यह काँटेदार लगाम उनके मुंह के एक सेंटीमीटर अंदर तक पहनाई जाती है जिससे उनके होंठ और जीभ इस पर घिसते हैं, इस रगड़न से उन्हें अत्यधिक दर्द होता है, मुंह में घाव बन जाते हैं, मानसिक आघात और आजीवन क्षति होती है।
घोड़ों को नियंत्रित करने वाली काँटेदार लगाम को रोकने हेतु राज्य सरकारों द्वारा किए गए प्रयासों पर किए गए सर्वेक्षण के नतीजों के आधार पर, PETA इंडिया ने इस लगाम पर लगे प्रतिबंध को लागू करने हेतु पुलिस की मदद करने के उद्देश्य से दिसंबर के पहले सप्ताह में एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया। PETA इंडिया द्वारा संपर्क किए जाने के बाद, कई राज्यों – जिनमें असम, बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना व उत्तर प्रदेश शामिल हैं – ने इस निषेध को लागू करने के आदेश जारी किए हैं। PETA इंडिया न केवल पुलिस को अवैध रूप से इस्तेमाल की जारी इस लगाम की खोज करने और उन्हें जब्त करने के लिए अभियान चला रहा है, बल्कि काँटेदार लगाम के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनों को लाने हेतु भी अभियान चला रहा है ताकि कानून में व्याप्त खामियों को सही किया जा सके व इस प्रतिबंध को और भी पूर्णतया लागू किया जा सके।
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर किसी भी तरह से हमारी प्रताड़णा एवं दुर्व्यवहार को सहने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य कि वर्चस्ववादी सोच का परिचायक है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ।
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