PETA इंडिया की जाँच में खुलासा : ईद-उल-अज़हा (बक़रीद) से ठीक पहले मुंबई भर में बकरों की बिक्री के अनेकों बाज़ार लगे

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19 July 2021

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राज्य सरकार के आदेशों एवं पशु संरक्षण क़ानूनों के उल्लंघन के लिए PETA समूह ने स्थानीय पुलिस थानों में शिकायतें दर्ज करवाई

मुंबई : इस सप्ताह, पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA इंडिया) की एक जांच से खुलासा हुआ है कि बकरीद का त्यौहार मनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार के सर्कुलर का उल्लंघन करते हुए मुंबई भर में बकरों के बाज़ार सज गए हैं। सरकार द्वारा जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि COVID-19 महामारी के चलते सभी सक्रिए पशु मंडियों को बंद कर दिया जाए और जानवरों की बिक्री केवल ऑनलाइन या फिर फोन के द्वारा की जाए।

PETA समूह की जांच में अंधेरी, बायकुल्ला, गोवंदी, जोगेश्वरी, कुर्ला एवं मानखुर्द जैसे इलाकों में बकरों के 23 अवैध बाज़ार हैं। ईद पर कुर्बानी के लिए बेचने हेतु इन बाज़ारों में असम, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से तकरीबन एक लाख बकरे लाये जा चुके हैं। जांच में ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960’, ‘पशु परिवहन नियम 1978’ तथा COVID-19 प्रोटोकॉल जैसे नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है।

इन अवैध बाज़ारों की वीडियो फुटेज एवं तस्वीरें  तथा PETA इंडिया की जांच रिपोर्ट एवं शिकायत पत्र मांगे जाने पर उपलब्ध करवाये जाएंगे।

जांच के बाद, PETA इंडिया ने बृहन्मुंबाई नगरपालिका परिषद, महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक, मुंबई पुलिस आयुक्त को पत्र भेजकर इन अवैध पशु बाज़ारों की जानकारी प्रदान की है व स्थानीय पुलिस स्टेशन में इन अवैध बाज़ारों के आयोजनकर्ताओं तथा बकरों की बिक्री करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज करवाई है।

PETA इंडिया के एडवोकेसी एसोसिएट प्रदीप रंजन डोले बर्मन कहते हैं- “सभी धर्म और मज़हब करुणा का संदेश देते हैं, और साल भर खासकर ईद के समय पशु संरक्षण क़ानूनों का सख्ती से पालन होना चाहिए। PETA इंडिया लोगों को प्रोत्साहित करता हैं की बकरीद का त्यौहार मिठाई, कपड़े या फल वितरण करके मनाए इससे किसी जानवर की जान नहीं जाती“

PETA इंडिया की जांच में ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960’ का उल्लंघन होते पाया गया। जानवरों से खचाखच भरें इन अवैध बाज़ारों में छोटी-छोटी जगहों पर भारी तादात में जानवरों को ठूस ठूस कर रखा गया है, वह ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे और जमीन पर गिर रहे थे। कुछ जानवर आपस में लड़ रहे थे। भोजन पानी से वंचित इन जानवरों में अनेकों सांस की समस्याओं से पीड़ित थे जिनके लिए किसी भी तरह की पशु उपचार चिकित्सा उपलब्ध नहीं थी। मांगे जाने पर बहुत से खरीदार एवं विक्रेता बकरों के परिवहन हेतु उनके फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिखा पाये जो कि ‘पशु परिवहन नियम, 1978’ का स्पष्ट उल्लंघन है। वीडियोग्राफी के दौरान साफ़ देखा गया कि ग्राहक खरीदे गए बकरों को जबरन उनके कान से पकड़ कर घसीटते हुए आटोरिक्शा तक ले जा रहे हैं। ज़्यादातर खरीदार एवं विक्रेताओं ने अपने मुंह पर मास्क भी नहीं पहना था और ना ही उनके द्वारा किसी तरह की सामाजिक दूरी जैसे नियमों का पालन किया जा रहा था, यह COVID-19 जैसे गंभीर प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि ‘जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं’, ने हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र भेजकर “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” की धारा   28 को हटवाने की मांग की थी। अधिनियम की इस धारा के तहत धार्मिक आयोजनों के दौरान किसी भी तरह से किसी भी जानवर की कुर्बानी/बलि दिये जाने की अनुमति दी गयी है। इसके अलावा PETA इंडिया ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों से अनुरोध किया है कि ईद के दौरान जानवरों के अवैध परिवहन एवं हत्याओं को रोकने हेतु सभी एहतियाती उपाय करें जैसा कि भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड ने दिनांक 25 जून को जारी अपनी एडवाईजरी में भी सलाह दी है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर विजिट करें।

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