PETA इंडिया के अभियान के बाद, मध्य प्रदेश कोर्ट ने भारत की सबसे दुर्बल हथिनी लक्ष्मी के पुनर्वास के आदेश दिये

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24 December 2021

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भोपाल: पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया के तीन सप्ताह के गहन अभियान के बाद, छतरपुर मे बड़ा मलहरा अदालत ने आज लक्ष्मी हथिनी जिसे भारत की सबसे दुर्बल हथिनी के नाम से भी जाना जाता है, को “वन्यजीव SOS के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र” (Wildlife SOS Elephant Conservation and Care Centre (ECCC) मथुरा में पुनर्वास हेतु भेजे जाने के आदेश जारी किए हैं। PETA इंडिया और स्थानीय स्वयं सेवकों के प्रयासों से मध्य प्रदेश वन विभाग ने उसे जब्त कर लिया था, जिसके उपरांत PETA इंडिया के पशु चिकित्सकों द्वारा उसकी उचित देखभाल की जा रही थी। यह सब मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन के निर्देशानुसार था।

दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में, PETA इंडिया एवं स्थानीय पशु एक्टिविस्ट की शिकायत पर वन विभाग ने लक्ष्मी के संरक्षक के खिलाफ “वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 42 के तहत उसे अवैध रूप से रखने व भीख मँगवाने के लिए उसका शोषण करने के जुर्म में प्रारम्भिक अपराध रिपोर्ट दर्ज की थी। PETA इंडिया की सुनवाई पर भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रोजेक्ट एलीफेंट डिवीजन ने वन विभाग को लक्ष्मी के पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा था। अदालत ने वन्यजीव SOS की Elephant Conservation and Care Centre में उसकी देखभाल हेतु भेजने का निर्देश जारी किया।

PETA इंडिया की चीफ़ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता कहती हैं- “बेहद दुख और यातना भारी जिंदगी के बाद अब लक्ष्मी एक बेहतर जीवन की शुरुवात करने जा रही है। अभी तक लक्ष्मी ने केवल क्रूरता, दुख और उपेक्षा ही सही है। माननीय अदालत ने यह आदेश जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि हाथियों के साथ क्रूरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

जब लक्ष्मी को भीख मांगने के काम से बचाया गया तो वह पुरानी गठिया और जोड़ों की विकृति से पीड़ित थी, उसके कूल्हों पर फोड़े हो चुके थे। लंबे समय तक भोजन और पानी के कमी के कारण बहुत कमजोर हो चुकी थी और दर्द से कराह रही थी।

PETA इंडिया के तहत लक्ष्मी की अंतरिम देखभाल के दौरान, PETA समूह के पशु चिकित्सा दल ने उसके गठिया और पैरों में दर्द को कम करने के लिए एक रेत का गड्ढा बनाया, वह पर्याप्त आराम कर सके और चैन से सो सके इस हेतु उसके लिए मिट्टी का ढेर बनाया, वह अपना सिर और सूंड का भार अच्छे से रख सके उसके लिए बांस का एक स्टैंड भी बनाया, रात में ठंड के मौसम से बचाने के लिए उसके लिए कंबल का जैकेट नुमा बनवाकर पहनाया और उसका रक्त प्रवाह सही रहे इसके लिए उसकी प्रतिदिन नियमित रूप से ग्रूमिंग व मालिश भी की गयी। उसके दर्दनाक फोड़े और अन्य घावों के लिए उसे दैनिक स्नान और उपचार दिया जाता था, उसके जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए दवाएं दी जाती थीं, और उसके पैरों और नाखूनों को नियमित रूप से साफ और मॉइस्चराइज किया जाता था। PETA  इंडिया ने उसे फलाहार भी करवाया।

PETA इंडिया जो  सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर किसी भी तरह से हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं है” प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमें इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट  PETAIndia.com पर जाएँ और हमें Twitter, Facebook व Instagram पर फॉलो करें।   #