मध्य प्रदेश वन विभाग ने मौत की दहलीज़ पर खड़ी हथिनी की देखभाल की अंतरिम ज़िम्मेदारी PETA इंडिया को सौंपी

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13 December 2021

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भोपाल: मध्य प्रदेश के प्रिन्सिपल चीफ़ कनसर्वेटर ऑफ फोरेस्ट्स (वाइल्डलाइफ) श्री आलोक कुमार जी के कार्यालय द्वारा बीते शुक्रवार को ज़ारी एक आदेश के अनुसार, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया को “लक्ष्मी” नामक एक बेहद कमजोर व दुर्बल हथिनी को तात्कालिक चिकित्सकीय सुविधा, भोजन-पानी एवं अन्य ज़रूरी सुविधाएँ प्रदान करने की अंतरिम ज़िम्मेदारी सौंपी है। वर्तमान में यह हथिनी छतरपुर ज़िले के बड़ा मल्हेरा स्थित स्थानीय वन विभाग के कार्यालय में हैं। इस आदेश में, वन अधिकारियों को PETA इंडिया के साथ मिलकर लक्ष्मी की देखभाल करने हेतु निर्देशित किया गया है। इस कैदी हथिनी को छतरपुर ज़िले की पथरीली सड़कों पर भीख मंगवाने के लिए जबरन प्रयोग करते पाया गया था।

PETA इंडिया द्वारा मध्य प्रदेश वन विभाग जो कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) के तहत एक सरकारी निकाय है और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रोजेक्ट एलीफेंट डिवीजन को तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करने के बाद यह निर्णय आया।

आलोक कुमार द्वारा ज़ारी आदेश की एक प्रति मांगे जाने पर उपलब्ध कारवाई जाएगी।

PETA इंडिया की चीफ़ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता ने कहा, “लक्ष्मी की मदद के लिए ज़रूरी कदम उठाने और PETA इंडिया को इसमें अपना योगदान देने हेतु अनुमति देने के लिए हम मध्य प्रदेश वन विभाग का धन्यवाद करते हैं। इस हथिनी को जीवनभर क्रूरता, दुख और उपेक्षा झेलनी पड़ी है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही लक्ष्मी घूमने, तालाबों में स्नान करने और अन्य हाथियों की संगति में समय व्यतीत करने में सक्षम होंगी। हम इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सभी के समर्थन की अपेक्षा करते हैं।“

वन विभाग और PETA इंडिया के पशु चिकित्सकों द्वारा की गई परीक्षाओं में निष्कर्ष निकाला गया कि लक्ष्मी पुरानी गठिया और जोड़ों की विकृति से पीड़ित है जिसके कारण वह बेहद दर्द में हैं और लंबी समय से भोजन-पानी के आभाव के कारण वह शारीरिक रूप से बहुत कमज़ोर हैं। वह वर्तमान में जोड़ों के दर्द के लिए उपचार प्राप्त कर रही है, और उसे कूल्हों पर फोड़े और उसके बाएं कान के घावों को नियमित रूप से साफ कर उपचार किया जा रहा है। यह सभी चोटे संभवतः अंकुश नामक लोहे की छड़ी के कारण लगी थी। लक्ष्मी को 1 दिसंबर को स्थानीय कार्यकर्ताओं और PETA इंडिया के स्वयंसेवकों द्वारा बचाया गया था।

AWBI के कई निरीक्षणों और राज्य वन विभागों की रिपोर्टों से सामने आया है, देश में अधिकांश हाथियों को अवैध रूप से रखा गया है, क्योंकि उनके संरक्षण को वन विभाग से आवश्यक अनुमति लिए बिना बदल दिया जाता है या बिना अनुमति के दूसरे राज्य में ले जाया जाता है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com  पर जाएँ और TwitterFacebook, व Instagram पर हमें फॉलो करें।

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