PETA इंडिया की अपील के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने माता सूअरों को कैद में रखने वाले पिंजरों पर रोक लगाई

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10 February 2022

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भोपाल- पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की अपील के बाद, मध्य प्रदेश राज्य के “पशुपालन और डेयरी विभाग” के निदेशक ने एक परिपत्र जारी कर सभी जिलों की पशु चिकित्सकीय सेवाओं के उप निदेशकों को अपने क्षेत्र में सुअर पालन केन्द्रों का निरीक्षण करके “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(e) के अंतर्गत, क्रूर पिंजरों के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया। पंजाब सरकार की तरह, PETA इंडिया की अपील के बाद अब गोवा और कर्नाटक सरकारों ने भी इस तरह के निर्देश ज़ारी किए हैं। इससे पहले, ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केंद्र द्वारा सूअरों के संबंध में यह पुष्टि की गयी है कि मादा सूअरों को तंग पिंजरों में कैद रखना जिनमे वह सही से हिल डुल तक न सके, वह अवैध है।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी परिपत्र की कॉपी मांगे जाने पर उपलब्ध करवाई जाएगी।

गेस्टेशन क्रेट (उर्फ गर्भवती सुअर को जकड़ने का तंग पिंजरा) जो केवल सुअर की माप के होते हैं, इनका फर्श पक्का या कंक्रीट का होता है, जिसमे जानवरों को करवट बदलने या खड़े होने में अत्यधिक कष्ट होता है। गेस्टेशन क्रेट का इस्तेमाल गर्भवती सूअरों को एक जगह रोके रखने के लिए किया जाता है, बच्चों को जन्म देने के लिए फेरोइंग क्रेट (जन्म देने का तंग पिंजरा) में भेज दिया जाता है और उन्हें वहाँ तब तक रखा जाता है जब तक कि उनके नवजात बच्चों को उनसे अलग न कर दिया जाये। ये फेरोइंग क्रेट मूल रूप से गेस्टेशन क्रेट के समान होते हैं, बस इनमे सूअर के नवजात बच्चों के लिए साइड में छोटे खांचे बने रहते हैं।

PETA इंडिया की एडवोकेसी एसोसिएट फरहात उल ऐन कहती हैं, “PETA इंडिया मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए इस महत्वपूर्ण कदम की सराहना करता है, जिससे पिंजरों में क़ैद अनगिनत प्रताड़ित सूअरों  को राहत मिलेगी। PETA इंडिया इस पर ज़ोर देता है कि सुअर के मांस का त्याग करके, पशु शोषण को रोका जा सकता है, क्योंकि इस प्रकार के पिंजरें सूअर पालन उद्योग की क्रूरता का केवल एक पक्ष है। सूअरों को भारी भीड़भाड़ वाले वाहनों में बूचड़खानों में ले जाया जाता है, जहां उन्हें सिर पर हथौड़े से मारकर या सीने में छुरा घोंपकर मौत का घाट उतार दिया जाता है।“

गेस्टेशन और फेरोइंग क्रेट इतने छोटे व सँकरे होते हैं कि वे मादा सूअरों को उन सभी चीज़ों से वंचित कर देते हैं जो उनके लिए प्राकृतिक और महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि चारा खाना, अपने बच्चों के लिए घोंसला बनाना, अन्य सूअरों के साथ समूह में रहना, उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए कीचड़ में लोट पोट होना। क्रेट मे बंद सूअरों को जबरन अपने ही मल-मूत्र में सने रहने के लिए मजबूर किया जाता है। अत्यधिक क्रूरता सह रहे सुअर तनाव और हताशा का शिकार होते हैं जिसके परिणामस्वरूप असामान्य व्यवहार करते हैं जैसे कि बाड़े की सलाखों को लगातार काटने का प्रयास या हवा को लगातार चबाने की कोशिश करते रहना ।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं- यह मानता है कि “सुअर बेहद समझदार जानवर होते हैं, उनका शोषण नहीं किया जाना चाहिए।”। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com  पर जाएँ और TwitterFacebook, व Instagram पर हमें फॉलो करें।

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