PETA इंडिया की शिकायत के बाद मुंबई के वन अधिकारियों ने एलेक्जेंड्राइन तोते को अवैध कब्जे से छुड़ाया

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28 October 2024

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मुंबई – एक दयालु नागरिक से यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि अंधेरी के किसी घर में एक एलेक्जेंड्राइन तोते को बेहद छोटे से पिंजरे में कैद करके रखा गया है, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने इस पक्षी को बचाने और इसके कथित अवैध संरक्षक के खिलाफ प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (POR) दर्ज कराने के लिए मुंबई रेंज के ठाणे वन प्रभाग के साथ मिलकर कार्य किया। यह POR ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972’ की धारा 9, 39, 44, 48 और 48 (A) के तहत दर्ज़ करी गयी है।

इस पक्षी को रेस्कयू के बाद, स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा गया और अब यह वन विभाग की देखरेख में है। जांच के बाद पता चला कि इस तोते की हालत बहुत खराब है, इसे बहुत कमजोरी है और यह बिल्कुल उड़ नहीं पा रहा है। इसे खुले आसमान में उड़ने के लिए आज़ाद छोड़ने से पहले विभाग द्वारा इलाज़ करके इसकी रिकवरी सुनिश्चित करी जा रही है। एलेक्जेंड्राइन तोते वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित प्रजाति की श्रेणी में आते हैं। संरक्षित प्रजाति के पशुओं को खरीदना, बेचना या पालना एक अपराध है और इसके लिए तीन साल की जेल की सजा और अधिकतम 1 लाख रुपये के जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।

इस बचाए गए तोते के फ़ोटो मांगे जाने पर उपलब्ध कराए जाएंगे। 

PETA इंडिया की क्रुएल्टी रिस्पांस कोर्डिनेटर सिंचना सुब्रमण्यन ने कहा, “PETA इंडिया महाराष्ट्र वन विभाग के ठाणे प्रभाग, विशेष रूप से ठाणे प्रभाग के उप वन संरक्षक (प्रादेशिक), सचिन रेपल, IFS का अत्यंत आभार प्रकट करता है जिन्होंने इस निर्दोष तोते को बचाने और संबंधित अपराधी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए तात्कालिक रूप से कदम उठाया। पिंजरों में बंद पक्षियों का जीवन दुख और पीड़ा से भरा हुआ होता है। पक्षियों की सही जगह छोटे-छोटे पिंजरों न होकर खुले आसमान में है। PETA इंडिया जनता से अनुरोध करता है कि अगर आप कभी किसी पक्षी को पिंजरे में कैद पाएं तो उसे आज़ाद करने के लिए स्थानीय वन विभाग या पशु संरक्षण समूह से अवश्य संपर्क करें।“

 

पक्षियों के अवैध व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता है और हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है ताकि इन पक्षियों को “पालतू जीवों” के रूप में बेचा जा सके या फर्जी तौर पर, भाग्य-बताने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। नन्हे-नन्हे पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से जबरन उठा लिया जाता है जिस कारण अन्य पक्षी भी घबरा जाते हैं। इस दौरान पिंजरों से निकलने का प्रयास करते हुए कई पक्षी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और अपनी जान भी गवां देते हैं। पकड़े गए पक्षियों को छोटे-छोटे पिंजरों में बंद किया जाता है, एवं अनुमानित तौर पर इनमें से 60% पक्षी टूटे हुए पंख और पैर एवं प्यास या अत्यधिक घबराहट के कारण रास्ते में ही मर जाते हैं। इसके बाद भी जो पक्षी बचा जाते हैं उन्हें अंधेरे पिंजरों की कैद और अकेले जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है और वह कुपोषण, मानसिक बीमारियों एवं तनाव का सामना करते हैं और दुर्व्यवहार से पीड़ित होते हैं।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “पशु किसी प्रकार का दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान स्वयं को इस संसार में सर्वोपरि मानकर अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें XFacebook, तथा Instagram पर फॉलो करें।