PETA इंडिया की शिकायत पर दिल्ली के पक्षी बाजार में छापेमारी : लगभग 150 तोते और अन्य पक्षी बचाए गए

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10 December 2024

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दिल्ली – कल, पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन ने जामा मस्जिद के पास स्थित कबूतर मार्केट में छापेमारी कर लगभग 150 तोते और कबूतर बरामद किए। इनमें दो तोते मृत पाए गए। जब्त किए गए पक्षियों में 56 कबूतर और 90 तोते थे जिसमें से 49 तोते अलेक्जेंड्राइन, 39 रोज़-रिंग्ड वाले और 2 प्लम-हेडेड तोते थे। इस सभी पक्षियों को अंधेरे में गंदे बदबूदार पिंजरों में या कपड़े के थैलों में भरकर रखा गया था और कबूतरों को भी ऐसी ही दयनीय स्थिति में कैद किया हुआ था। PETA इंडिया ने पुलिस उपायुक्त, केन्द्रीय जिला और जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन को एक शिकायत भेजकर अनुरोध किया था कि कबूतर बाजार से इन पक्षियों को बरामद किया जाए और दुकान मालिकों पर मामला दर्ज किया जाए। जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन ने कथित अपराधियों के खिलाफ वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की प्रासंगिक धाराओं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की है। .

जुलाई में, PETA इंडिया की एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, दिल्ली वन विभाग के केंद्रीय प्रभाग ने जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन के सहयोग से 1,000 पक्षियों को बरामद किया था । इन पक्षियों में एलेक्जेंड्रिन, रिंग-नेक्ड और प्लम-हेडेड तोते और सैकड़ों फ़िंच शामिल थे। मार्च 2022 में, PETA इंडिया की एक शिकायत के जवाब में, दिल्ली पुलिस ने कबूतर मार्केट में अवैध व्यापारियों से हजारों वयस्क और बच्चे पक्षियों को बरामद किया। इन पक्षियों में रिंग-नेक्ड और प्लम-हेडेड तोते, सैकड़ों मुनिया, दो आम पहाड़ी मैना और एक कबूतर शामिल थे।

छापेमारी की वीडिओ और फ़ोटो मांगे जाने पर उपलब्ध करायी जाएंगी। 

रेस्क्यू के उपरांत सभी जीवित पक्षियों को स्वास्थ्य जांच, उपचार और अस्थायी पुनर्वास के लिए भेज दिया गया है। एक बार जब उनकी रिकवरी पूरी हो जाएगी, तो उन्हें वापिस खुले आसमान में आजाद उड़ने के लिए छोड़ दिया जाएगा।

अलेक्जेंड्रिन, रोज़-रिंग्ड और प्लम-हेडेड तोते वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित हैं। इन प्रजातियों को खरीदना, बेचना या रखना एक अपराध है, जिसमें 1 लाख रुपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की जेल की सजा या फिर दोनों  हो सकती है। लुप्तप्राय वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के तहत लुप्तप्राय वन्यजीवों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित किया जाता है। CITES के तहत संरक्षित गैर-देशी लुप्तप्राय प्रजातियां वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची IV के तहत भी संरक्षित हैं।

PETA इंडिया क्रुएल्टी रिस्पॉन्स कोऑर्डिनेटर सुनयना बसु कहती हैं- “पक्षी सामाजिक प्राणी हैं जो खुले आसमान में उड़ने के लिए बने हैं – अपना जीवन पिंजरों में अकेले और दुखी होकर बिताने के लिए नहीं। PETA इंडिया दिल्ली वन विभाग के मुख्य वन्यजीव वार्डन श्री श्याम सुंदर कांडपाल, आईएफएस और मध्य जिले के पुलिस उपायुक्त श्री एम हर्ष वर्धन, आईपीएस की कार्यवाही और समर्थन के लिए बहुत आभारी है, जिससे पक्षियों को बचाने में मदद मिली और क्रूरता करने वालों को यह साफ संदेश मिला कि वन्यजीवों के साथ होने वाले अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

अवैध पक्षी व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से अलग करके कैद कर लिया जाता है और उन सभी चीज़ों से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से जरूरी और महत्वपूर्ण हैं ताकि उन्हें “पालतू जीवों ” के रूप में बेचा जा सके या फर्जी भाग्य-बताने वाले पक्षी के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। नन्हें पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से चुरा लिया जाता है और अन्य पक्षी पकड़े जाने के दौरान जाल या फंदों में फंसकर घबराहट में छटपटाते हैं, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं या उनकी मौत हो सकती है। पकड़े गए पक्षियों को छोटे डिब्बों में ठूंस दिया जाता है, और अनुमानित 60% पक्षी टूटे पंख और पैर, प्यास या घबराहट के कारण यात्रा के दौरान ही मर जाते हैं।जो बच जाते हैं उन्हें कैद में अंधकारमय जीवन का सामना करना पड़ता है, वे कुपोषण, अकेलेपन, अवसाद और तनाव से पीड़ित होते हैं।

PETA इंडिया – जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “पशु इंसानों का मनोरंजन या किसी अन्य तरीके से दुर्व्यवहार के लिए नहीं हैं”- यह स्पष्ट करता है कि “वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972, स्वदेशी पक्षियों को पकड़ने, पिंजरे में कैद करने और उनके व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाता है जिसका अनुपालन करने पर जेल या फिर जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा, पक्षियों को पिंजरे में बंद करना ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960’ का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी पशु-पक्षी को ऐसे पिंजरे या पात्र में कैद रखना जो उनके चलने फिरने और उड़ने के लिए पर्याप्त नहीं, वह कैद अवैध है।

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