PETA इंडिया की एक और बड़ी कार्यवाही – मोगा ज़िले के अधिकारियों के सहयोग से गैरकानूनी दौड़ों पर रोक लगवाई
ज़िला अधिकारियों से मिले तत्काल सहयोग से दर्जनों बैलों को मिलने वाली पीड़ा से निज़ात
मोगा, पंजाब : पंजाब के मोगा ज़िले के तखनवाध एवं चुहरचाक ग्रामों में दिनांक 16 मई को होने वाली बैल दौड़ों की जानकारी प्राप्त होने पर ‘पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया’ की ईमरजेन्सी रिस्पांस दल ने तत्काल कार्यवाही करते हुए ज़िला मोगा के ‘पुलिस उपायुक्त’ एवं ‘वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक’ से संपर्क कर इन दौड़ों पर रोक लगवा दी। ज़िला प्रशासन के सहयोग से दोनों दौड़ों पर रोक लगाने से अनेकों बैलों को मिलने वाली पीड़ा से निजात मिल गयी है।
केवल इसी वर्ष में, पंजाब पुलिस के साथ मिलकर PETA इंडिया ने अभी तक नवाशहर ज़िले में दिनांक 3 एवं 5 अप्रेल को होने वाली बैलगाड़ी दौड़ों पर रोक लगवाई थी। इसके अलावा दिनांक 12 एवं 13 अप्रेल को लुधियाना के निकट किला रायपुर में होने वाली गैरकानूनी पशु दौड़ों (जिसमे कुत्तों, घोड़ों एवं गधों की दौड़ शामिल थी) पर रोक लगवाई तथा दिनांक 11 एवं 12 मई को रूपनगर ज़िले में होने वाली दौड़ों को भी स्थगित करवाया था।
PETA इंडिया ईमरजेन्सी रिस्पांस दल के कोर्डिनेटर ‘मीत अशर’ कहते हैं – “माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है की भारत में बैल गाड़ीदौड़ गैरकानूनी हैं और किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की क्रूरता भरी दौड़ों के लिए कोई स्थान नहीं है जहां बैलों की पूंछों को दाँतो से काटा जाये या फिर तेज़ दौड़ने के लिए उन्हे लगातार पीटा जाये जो की बैल दौड़ में एक सामान्य बात है। क्रूरता भरी दौड़ों में जबरन दौड़ने के अलावा बैलों की जिंदगी बहुत कष्ट भरी है । हम मोगा ज़िले के ‘पुलिस उपायुक्त’ एवं ‘वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक’ द्वारा कानून व्यवस्था बनाए रखने व बैलों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए उनकी सराहना करते हैं”।
PETA इंडिया जो इस सरल सिद्धांत के तहत कार्य करता है की ‘जानवर हमारे मनोरंजन करने या किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है’ इस बात का संज्ञान लेता है की “प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट (पंजाब संशोधन) बिल 2019, जिसमें लुधियाना के निकट ‘किला रायपुर वार्षिक खेलकूद’ कार्यक्रम के तहत बैल दौड़ों के आयोजन की अनुमति प्रदान की गयी थी, को 8 मार्च 2019 को PETA इंडिया ने कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमे पंजाब राज्य के लिए उपस्थित महाधिवक्ता ने अदालत को आश्वासन दिया था की “किसी भी प्रकार की बैल दौड़ के आयोजन की न तो अनुमति प्रदान की गयी है न ही आगे भी की जाएगी। जब तक की राष्ट्रपति की ओर से पंजाब राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन पर मंजूरी नहीं मिल जाती तब तक ऐसी दौड़ों के किसी भी आवेदन पर गौर नहीं किया जाएगा“।
PETA इंडिया द्वारा की गयी बहुत सी जाँचो से यह स्पष्ट हो चुका है की बैलगाड़ी दौड़ों के दौरान बैलों को निर्दयता से लकड़ी की छड़ों से पीटा जाता है, चिलचिलाती तेज धूप में तेज़ दौड़ने के लिए उन्हे नुकीली छड़े चुभोई जाती हैं, उन्हे थप्पड़ मारे जाते हैं, उनकी पूंछों को मरोड़ा जाता है जिससे बैलों को अत्यधिक पीड़ा होती हा व उनका खून बहता है। इस से पहले जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा बैलगाड़ी दौड़ों को प्रतिबंधित नहीं किया गया था, फरवरी 2014 में किला रायपुर वार्षिक खेलों में बैलगाड़ी दौड़ के दौरान अनियंत्रित होने की वजह से 3 बैल बुरी तरह से जख्मी हो गए थे जिसमे एक के घुटने में फ्रेक्चर हो गया था। इसी कार्यक्रम में बैलों का एक जोड़ा अनियंत्रित होकर पार्किंग में खड़े वाहनों से टकरा कर घायल हो गया था। PETA इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर तमिलनाडू, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र राज्य द्वारा बैलगाड़ी दौड़ों की अनुमति देने वाले कानून की वैध्यता को चुनौती दी है।
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