PETA इंडिया की गाय ने रक्षा बंधन मनाने वालों से अनुरोध करती है- “मेरी रक्षा करो, चमड़े का त्याग करो”

PETA समूह लोगों से अनुरोध करेगा कि राखी पर पशुओं कि रक्षा का प्रण लें

प्रयागराज – रक्षा बंधन से पहले बुधवार को त्यागराज में, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया एवं “रक्षा-मेक अ डिफरेंस” का एक सदस्य, गाय के भेष में, “मेरी रक्षा करो- चमड़े का त्याग करो” नामक संदेश लिखी एक बड़ी राखी पकड़े आते जाते लोगों से अनुरोध करेगा कि चमड़े का इस्तेमाल न करें। यह “गाय” राहगीरों में उपरोक्त संदेश लिखी राखियाँ भी वितरित करेगी। इस प्रदर्शन के माध्यम से PETA इंडिया लोगों को जागरूक करना चाहता है कि गाय, भैंस, बकरी की खाल से बनने वाले उत्पाद जैसे लैदर के जूते, बैग्स एवं अन्य सामग्री हेतु इन जानवरों को दर्दनाक पीड़ा एवं यातनाएं सहनी पड़ती हैं।

समय : बुधवार, 14 अगस्त, दोपहर 12 बजे से
स्थान : सुभाष चौराहा, सिविल लाइन, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश- 211 001

PETA इंडिया की कैम्पेन कोर्डिनेटर राधिका सूर्यवंशी कहती हैं- “राखी बंधवाने के बदले अपने प्रियजनों की रक्षा करने का प्रण लेना प्रसंशनीय कदम है लेकिन हम चाहते हैं कि लोग अन्य लोगों, खासकर चमड़े के लिए इस्तेमाल होने वाले पशुओं की रक्षा के लिए भी यही प्रण लें। गाय एवं अन्य पशुओं को अपनी खाल के लिए दर्दनाक यातनाएं सहनी पड़ती हैं इस नर्क जैसे जीवन से बचने के लिए उनकी एकमात्र उम्मीद यही है कि लोग क्रूरता के खिलाफ एकजुट हों व लैदर से बने समान का बहिष्कार करें।“

चमड़े के लिए ले जायी जाने वाली गायों एवं भैंसो को परिवहन के दौरान गाड़ियों में इस कदर ठूस ठूस कर भरा जाता है कि उनकी हड्डियां टूट जाती हैं। कत्लखानों के अंदर इन पशुओं का एक दूसरे के सामने ही गला काट दिया जाता है जबकि बहुत से जानवरों के सचेत अवस्था में रहते ही उनकी खाल उतार ली जाती है। लैदर मनुष्यों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हानिकारक है। चमड़ा कंपनियों से निकलने वाला दूषित पानी नदी नालों में घुलकर जहर का कम करता है जो आसपास रहने वालों के जीवन को प्रभावित कर उनमे कैंसर, त्वचा संक्रमण व अन्य जानलेवा बीमारियों का कारक बनता है।

PETA इंडिया बताना चाहता है कि देश के समस्त बाज़ारों में सिंथेटिक लैदर एवं अन्य गैरपशु सामग्री से निर्मित उत्पाद आसानी से उपलब्ध हैं।

PETA समूह, जो इस सरल सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारे वस्त्र बनने के लिए नहीं है”, भेदभाव का विरोध करता है क्यूंकी यह मनुष्य की स्वयं को वर्चस्ववादी मानने की विचारधारा का प्रतीक है।

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