PETA इंडिया को बदनाम करने की कोशिश पर PETA ने ज़ी न्यूज को ‘समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण’ में घसीटा
PETA इंडिया को बदनाम करने की कोशिश पर ज़ी न्यूज ‘समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण’ में तलब
PETA समूह ने ज़ी न्यूज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
दिल्ली : पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने ज़ी न्यूज द्वारा PETA को बदनाम करने के खिलाफ ‘समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण’ में एक शिकायत दर्ज कराई थी जिस पर आज सुनवाई हो रही है। ज़ी न्यूज टेलीवीजन चैनल द्वारा PETA के विचारो को गलत व गैरकानूनी तरीके से पेश करते हुए अपने एक शो में दिखाया था की PETA हिन्दू संस्कृति के खिलाफ है, आधुनिक डेयरी उत्पाद अमानवीय है व पशुओं के प्रति दयालु हिन्दू मान्यताओं की अवहेलना करते हैं जबकि PETA का मानना है की वास्तव में समस्त मुख्य धर्म जीवित प्राणियों के प्रति क्रूरता की निंदा करते हैं।
PETA इंडिया के एस्सोसिएट डाइरेक्टर ऑफ पॉलिसी, निकुंज शर्मा कहते हैं- “ज़ी न्यूज़ को यह समझना चाहिए आजकल अनेकों हिन्दू एवं अन्य धर्मों में आस्था रखने वाले बहुत से लोग डेयरी उद्योग में पशुओं के प्रति होने वाली क्रूरता से वाकिफ है इसलिए वह डेयरी उत्पादों का सेवन करना छोड़ रहे हैं। अब लोग इस बात को समझने लगे हैं की डेयरी उद्योग ही मांस उद्योग को पशु निर्यात करता है ताकि उनको मारकर मांस बेचा जा सके। डेयरी उद्योग में पैदा होने वाले नर बछड़े जिनसे दूध नहीं प्राप्त होता, उनको मरने के लिए व उनका मांस प्राप्त करने के लिए उन्हे कत्लखानों को बेच दिया जाता है। PETA इंडिया ‘समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण’ का धन्यवाद अदा करता है जो मीडिया जगत द्वारा सही न्यूज दिखाये जाने की निगरानी करता है”।
PETA इंडिया जो इस सरल सिधान्त के तहत काम करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद पर मानव वर्चस्व के एक अनुचित रूप को उजागर करता है व यह मानता है कि डेयरी उद्योग स्वाभाविक रूप से क्रूर है। अधिक दूध उत्पादन की इच्छा से किसान क्रतिम गर्भधारण तकनीकों के द्वारा गायों एवं भैंसो को बार-बार गर्भधारण करवाते है, जो कि एक तरह से बलात्कार के समान है। जबरन अधिक दूध प्राप्त करने के लिए इन पशुओं को ऑक्सीटोसिन के टीके लगाए जाते है जो प्रसव पीड़ा के समान दर्दनाक होते है। बछड़े माँ का दूध न पी जाए इसलिए बहुत कम उम्र के छोटे बछड़ों को खींचकर उनकी माता से अलग कर दिया जाता है व बड़ा होने पर उन्हे भी उनकी माता की ही तरह दूध प्रदान करने वाली मशीन की तरह इस्तेमाल किया जाता है। नर बछड़ों को बेकार समझ कर उन्हे छोड़ दिया जाता है या फिर उनका मांस प्राप्त करने के लिए उन्हे कत्लखानों को बेच दिया जाता है।
गाय के दूध के सेवन से हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, कैंसर व श्वसन संबंधी समस्याएं होने का अधिक खतरा होता है। PETA इंडिया लोगों से अपील करता है कि वो डेयरी के वैकल्पिक उत्पाद जैसे सोया मिल्क, बादाम मिल्क या अन्य गैर डेयरी प्रयुक्त उत्पादों का सेवन करें।
अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com. पर जाएं।
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