PETA इंडिया, चुनाव आयोग द्वारा चुनावी अभियान में पशुओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाली आचार संहिता की सराहना करता है
यह आचार संहिता, 2019 लोक सभा चुनाव के दौरान हज़ारो जानवरों के अधिकारों की रक्षा करेगी।
दिल्ली : चुनावों के दौरान पशुओं का इस्तेमाल न हो इस हेतु PETA इंडिया द्वारा पिछले कई वर्षों से किए जा रहे प्रयासों के उपरांत, चुनाव आयोग ने “आदर्श चुनाव आचार संहिता” मैनुअल जारी कर “चुनाव के दौरान पशुओं का इस्तेमाल” नामक अध्याय के तहत समस्त राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारों को चुनावी अभियान के दौरान जानवरों के इस्तेमाल न करने की हिदायत दी गयी है। यदि किसी दल का चुनाव चिन्ह किसी पशु से संबन्धित है तो वह दल या उस दल के किसी भी उम्मीदवार को चुनाव चिन्ह के प्रचार प्रसार में सजीव पशु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ‘चुनाव के दौरान रोड शो’ पर बने नियम में कहा गया है की रोड शो में पशुओं को शामिल करना पूर्णता प्रतिबंधित है।
PETA इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डॉ. मणिलाल वलियाते कहते हैं- “ भारतीय चुनाव आयोग एवं PETA इंडिया दोनों ही इस बात से सहमत है कि चुनावी अभियान में पशुओं को इस्तेमाल की जरूरत नहीं है, यह एक बेहद प्राचीन एवं क्रूर तरीका है। सभी राजनैतिक पार्टियों एवं उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार प्रसार के नए एवं रोचक तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए जो पशुओं एवं जनता के लिए खतरनाक न हों“
PETA इंडिया जो इस सरल सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि जानवर किसी भी प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है, ने पूर्व में भारतीय चुनाव आयोग, राज्य चुनाव आयोग एवं राजनैतिक पार्टियों को पत्र लिखकर आगाह किया है कि चुनावी अभियानों एवं राजनैतिक रैलियों के दौरान पशुओं को जबरन भीड़भाड़ भरे माहौल में इस्तेमाल किया जाता है जो उनके लिए बहुत डरावना होता है। चुनावी रोड शो के दौरान, शोरगुल एवं हल्ला मचाती भीड़ के साथ परेड में चलते रहने के लिए उनको लातों एवं डंडों से मारा जाता है, धक्के दिये जाते हैं, नुकीली छड़े चुभोई जाती हैं व लगातार उनपर क्रूरता की जाती है। जानवरों को अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक भार ढोने के लिए मजबूर किया जाता है, पर्याप्त भोजन पानी से वंचित यह पशु इतनी यातना मिलने से अक्सर घायल हो जाते हैं।
PETA इंडिया की इस अपील पर कार्यवाही करते हुए वर्ष 2012 में चुनाव आयोग ने समस्त राजनैतिक दलों को चुनाव के दौरान पशुओं का इस्तेमाल न करने की सलाह जारी की थी। PETA इंडिया के इस अनुरोध एवं चुनाव आयोग की सिफ़ारिश पर बहुत से राज्य चुनाव आयोग जिनमे आसाम, मिज़ोरम, गुजरात, तमिलनाडू, सिक्किम, केरल, हिमाचल प्रदेश, आंध्रा प्रदेश तथा अंडमान एवं निकोबार ने यह माना की जिन दलों का चुनाव चिन्ह किसी जानवर से संबन्धित है उनको चुनावी अभियान में संबन्धित सजीव पशु के इस्तेमाल की स्वीकृति नहीं दी जाएगी। वर्ष 2013 में महाराष्ट्र के राज्य चुनाव आयोग ने चुनावी अभियान के दौरान गधों, बैलों, हाथियों, एवं गायों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये थे कि पशु संरक्षण क़ानूनों का उलंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाय।
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