PETA इंडिया एवं उत्तराखंड वन विभाग, संयुक्त तत्वधान में “मानव –हाथी प्रबंधन कार्यशाला” के आयोजन हेतु एकजुट हुए
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8 November 2019
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प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय “व्यवहार विशेषज्ञ” सकारात्मक प्रोत्साहन के माध्यम से दर्दमुक्त तकनीकों के द्वारा हाथियों को प्रशिक्षित करने के तरीके बताएँगे
देहरादून – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया एवं उत्तराखंड वन विभाग संयुक्त रूप से आगामी 9 नवंबर को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व (CTR) में एक कार्यशाला का आयोजन करने जा रहे हैं, जिसमें प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय व्यवहार विशेषज्ञा मार्गरेट व्हिटेकर (Margaret Whittaker) हाथियों की देखभाल एवं प्रबंधन से जुड़ी सुरक्षित मानवीय संपर्क (Humane protected-contact (PC) ) कैदी-हाथी प्रबंधन विधि पर प्रशिक्षण देंगी। यह एक ऐसी विधि है जिसके तहत हाथियों को हिंसा या चाबुक की बजाए मानवीय तरीकों से काबू में रखा जाता है। इसी कार्यक्रम में राज्य के प्रमुख वन्यजीव अधिकारियों व अन्य विशेषज्ञों द्वारा भी अन्य जानकारियाँ सांझा की जाएंगी।
CTR में आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में उत्तराखंड वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान, चिड़ियाघर तथा पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय- पंतनगर के अधिकारी, प्रमुख वन्यजीव-संरक्षण, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, पशुचिकित्सा पाठ्यक्रमों के छात्र तथा बचाव कर लाये गए बंदी हाथियों के महावत भाग लेंगे।
PETA इंडिया के CEO डॉ. मणिलाल वालियाते कहते हैं- “सुरक्षित संपर्क की शक्ति विषय पर आयोजित की जाने वाली इस कार्यशाला हेतु उत्तराखंड वन विभाग का धन्यवाद। आशा है की राज्य के सभी बंदी हाथियों को मार या अंकुश के डर की बजाय सकारात्मक प्रोत्साहन के माध्यम से उनका रखरखाव करने वाली इस मानवीय विधि के उपयोग से लाभ होगा। PETA इंडिया के लिए यह सम्मान की बात है कि हम उत्तराखंड हाथी सेंक्चुरियों (अभयारण्य) के लिए एक उदाहरण स्थापित करने जा रहे हैं, की भविष्य में हाथियों का बचाव एवं बेहतर देखभाल की जा सकती है।“
मुख्य वन्यजीव वार्डन-उत्तराखंड श्री राजीव भर्तारी कहते हैं – “बंदी हाथियों के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना, बंदी हाथियों के प्रबंधन में लगे सरकारी और निजी सस्थानों के लिए एक चुनौती है। कार्यशाला का आयोजन बंदी हाथियों के प्रबंधन के लिए कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बंदी हाथियों के रखरखाव पर उनके मालिकों, प्रबंधकों, चिकित्सकों एवं महावतों की संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए किया गया है।”
PETA इंडिया – जो इस सरल सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन के लिए नहीं है”, संज्ञान लेता है “PC” एक सावधानी से भरी, बेहतरीन शोध, मानवीय-हाथी प्रबंधन प्रणाली है, जो अन्य देशों में लगभग पिछले दो दशकों से उपयोग हो रही है। इसमें शारीरिक दंड या उत्पीड़न विधियाँ शामिल नहीं है, इसलिए इनमे रस्सियों, जंजीरों और अंकुश का उपयोग नहीं किया जाता। इन सबकी बजाए हाथियों को हैंडल करने के लिए मनुष्यों से कुछ दूरी बनाने वाली तकनीकों, जैसे धातु की स्क्रीन व बार इत्यादि विधियों को शामिल किया जाता है। देखभालकर्ता, हाथी पर प्रभुत्व दिखाकर जबरन काबू पाने की कोशिश नहीं करते हैं, बल्कि उनके समान रहकर व परस्पर व्यवहार के द्वारा उन्हें आदेश देकर काबू करते हैं। इस विधि में आक्रामकता और अन्य प्रकार के गैर-आज्ञाकारी व्यवहार को कभी दंडित नहीं किया जाता उन्हें बस अनदेखा किया जाता है।
हाथियों की देखभाल से संबन्धित विधियों के लिए व्हिटेकर (Whittaker) हिंसक तकनीकों की बजाए सकारात्मक प्रोत्साहन भरी तकनीकों के उपयोग के लिए जानी जाती हैं। व्हिटेकर (Whittaker) ने अपने करियर की शुरुआत ह्यूस्टन चिड़ियाघर से जानवरों के साथ काम करने से शुरू की थी, जहाँ उन्होंने सकारात्मक प्रोत्साहन प्रशिक्षण तकनीकों में अपना कौशल विकसित किया। पिछले 23 वर्षों से वह एशिया, यूरोप और उत्तर और दक्षिण अमेरिका में चिड़ियाघरों और अभयारण्यों के साथ “व्यवहार सलाहकार” के रूप में सक्रिय वातावरण बनाने के लिए काम कर रही हैं, व टेनेसी में वह हाथी अभयारण्य में हाथी संबन्धित कार्यक्रमों की निदेशक भी रही हैं। वर्तमान में वह क्रिएटिव एनिमल बिहेवियर सॉल्यूशंस की अध्यक्षा हैं। PC प्रणाली को इस प्राकार से डिजाइन किया गया है की हाथियों की देखभाल एवं कल्याण कार्यक्रमों के दौरान इन्सान सुरक्षित रह सकें।
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