PETA इंडिया के अनुरोध पर, पुरातत्व विभाग जयपुर द्वारा आमेर के किले पर इस्तेमाल होने वाले हाथियों की TB (तपेदिक) जांच के आदेश

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18 June 2020

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राजस्थान सरकार ने अंततः यह मान लिया है कि हाथीसवारी में इस्तेमाल होने वाले टीबी संक्रमित हाथियों से पर्यटकों को भी खतरा है  

जयपुर- पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने कला, संस्कृति, पुरातत्व और संग्रहालय मंत्री डॉ. बुलाकी दास कल्ला जी को एक पत्र भेजकर अनुरोध किया था कि आमेर के किले पर हाथियों के इस्तेमाल पर स्थायी रूप से रोक लगाकर उन हाथियों, उनके देखभाल कर्ताओं, पर्यटकों, सरकारी कर्मचारियों व आम जनता की टीबी रोग से रक्षा करें। इसके जवाब में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक श्री प्रकाश चंद्र शर्मा जी ने जयपुर के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) को निर्देशित किया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि आमेर के किले पर हाथीसवारी में इस्तेमाल होने वाले सभी हाथियों की टीबी जांच की गयी है व आवश्यक कार्यवाही के कदम उठाए जा रहे हैं। PETA इंडिया ने विभाग मंत्री से यह भी अनुरोध किया है कि इन हाथियों के महावतों एवं देखभाल कर्ताओं को गाड़ी के लायसेंस प्रदान किए जाये ताकि जब हाथीसवारी बंद हो तो वैकल्पिक व्यवसाय के रूप में यह लोग पर्यटकों की आवाजाही हेतु एलेक्ट्रोनिक शटल वाहनों का इस्तेमाल कर सकें व इनकी जीविका भी प्रभावित न हो।

PETA इंडिया की चीफ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता कहती हैं- “COVID-19 महामारी के चलते जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों को लेकर जनता इस समय पहले से कहीं ज्यादा सचेत है। सभी लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर, माननीय मंत्री जी द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं। पर्यटन गतिविधियों में हाथियों का इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं है क्यूंकि तनाव होने या उकसाये जाने पर यह अक्सर पर्यटकों पर भी हमला कर देते हैं।“

वैज्ञानिकों का मानना है कि मनुष्यों में COVID-19 का पहला संक्रमण चीन की पशु मंडियों से ही आया है। पर्यटन उद्योग में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले वन्यजीव व अन्य जानवर जैसे घोड़े एवं ऊंट अनेकों जुनोटिक रोगों (जानवरों से पनपने वाले) के वाहक होते हैं जो उसके संक्रमण को मनुष्यों में हस्तांतरित कर सकते हैं।

PETA इंडिया जिसका एक सिद्धांत यह भी है कि “जानवर किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”। PETA समूह इस बात का संज्ञान लेता है कि वर्ष 2018 में भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा जयपुर में बंदी हाथियों पर की गयी जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि 10 प्रतिशत हाथी टीबी संक्रामण से पीड़ित थे। दक्षिण भारत में 600 हाथियों पर किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में हाथियों में एम ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण के संकेत मिले हैं। इन्सानों से हाथियों एवं हाथियों से इन्सानों में हस्तांतरित होने वाले टीबी संक्रमण पर किए गए एक अन्य अध्ययन से स्पष्ट हुआ है हाथियों एवं उनके महावतों के बीच एम ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण हस्तांतरित मिला है। इसके अलावा हाल ही में प्रकाशित एक पेपर ने दक्षिण भारत में हाथियों से रिवर्स ज़ूनोसिस के पुष्टि की है।

“हेरिटेज एनिमल्स टास्क फोर्स” द्वारा संकलित किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 15 वर्षों में केरल में बंदी हाथियों ने 526 लोगों को मार दिया है।

भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड वल्द ए. नागार्जुन एवं अन्य के खिलाफ चल रहे एक मामले में वर्ष 7 मई 2014 में आदेश सुनाते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह कहा गया था कि – “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” के सेक्शन 11 के तहत मनोरंजन, प्रदर्शनी एवं शो हेतु पशुओं के इस्तेमाल की छूट प्रदान नहीं की गयी है इसलिए उनपर अपना अधिकार समझकर या अपनी जरूरत के अनुसार ऐसा नहीं किया जा सकता”।

 अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ।

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