PETA इंडिया प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करता है की गांधी जयंती के अवसर पर देशभर के कत्लखाने एवं माँस बिक्री की दुकाने बंद रखी जाएँ
PETA समूह का कहना है की ऐसा करके हम गांधी जी की अहिंसा एवं शाकाहार को बढ़ावा देने वाली सोच को सम्मानित कर सकेंगे।
नयी दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने हमेशा अहिंसा के मार्ग पर चलने एवं शाकाहार अपनाने का समर्थन किया है, उनकी इस सोच को सम्मानित करने के उद्देश्य से आज सुबह, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने शाकाहारी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को एक पत्र भेजकर आगामी गांधी जयंती के अवसर पर देशभर के कत्लखानों एवं माँस की दुकानों को बंद रखने हेतु एक आदेश जारी करने का अनुरोध किया है। PETA इंडिया द्वारा प्रधानमंत्री जी को भेजा गया पत्र कुछ इस प्रकार है –
आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी
माननीय प्रधानमंत्री – भारत
152, साऊथ ब्लॉक,
रायसिना हिल
नयी दिल्ली – 110011
28 सितंबर 2020
माननीय प्रधानमंत्री महोदय,
मैं आपको पीपल फार द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) एवं हमारे 20 लाख समर्थकों एवं सदस्यों की ओर से यह अनुरोध कर रही हूँ कि प्रत्येक गांधी जयंती पर देशभर की माँस बिक्री की दुकानें एवं कत्लखाने बंद रखे जाए। कुछ स्थानीय सरकारें पहले से ऐसा कर रही हैं लेकिन हमें आशा है कि आप इस बात पर सहमत होंगे कि इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर आदेश जारी करना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को सम्मान प्रदान करना होगा जिन्होंने हमेशा शाकाहार भोजन का समर्थन किया है।
जैसा कि आप अवगत हैं कि माँस के लिए पाले जाने वाले जानवरों के साथ अत्यधिक क्रूरता होती है। उन्हें गंदी एवं बदबूदार जगहों पर छोटे एवं तंग पिंजरों में कैद करके उन समस्त सुविधाओं से वंचित रखा जाता है जो उनके लिए महत्वपूर्ण एवं प्रकर्तिक रूप से आवश्यक हैं। उन्हें उनके परिवारों से छीन कर अलग कर दिया जाता है व उनकी हत्या होने तक उन्हें जंजीरों में बांधकर रखा जाता है। कत्लखानों तक ले जाने के लिए इन जानवरों को ठूस-ठूस कर गाड़ियों में भरा जाता है इसलिए कत्लखानों तक पहुँचने से पहले रास्ते में ही अनेकों जानवरों की हड्डियाँ टूट जाती है या दम घुटने से मौत हो जाती है। अधिकांश कत्लखानों में इन डरे सहमे जानवरों को उनके बाकी साथियों के सामने ही गलाकाट कर धीमी मौत करने के लिए छोड़ दिया जाता है व सचेत अवस्था में होते हुए ही उनके अंगो को काट दिया जाता है।
मांसाहार एवं पशुओं से प्राप्त उत्पादों का सेवन इन्सानों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है और यह ‘ईट राइट बास्केट’ एवं ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के उद्देश्यों के विपरीत भी है। आज, चिकित्सक यह चेतावनी दे रहे हैं कि मांसाहार या पशुओं से प्राप्त होने वाले उत्पादों का सेवन हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह व अन्य जानलेवा बीमारियों को आमंत्रण देना है और इन्हीं कत्लखानों, फेक्ट्री फ़ार्मिंग एवं पशु माँस मंडियों के कारण ही बर्ड फ़्लू या स्वाइन फ़्लू जैसी अनेकों महामारियाँ फैलती है जो जानवरों से पनप कर इन्सानों तक पहुँचती है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि वर्तमान में फैली महामारी का आगाज भी चीन की पशु माँस मंडियों से ही हुआ है।
माँस उत्पादन हमारे ग्रह के लिए भी नुक्सान दायक है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों से बचने के लिए हमें अपने भोजन के तरीकों में बदलाव करते हुए वैश्विक स्तर पर पौधों पर आधारित भोजन (वीगन) को अपनाना होगा। “प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंस” में छपी एक अध्ययन रिपोर्ट कहा गया है कि माँस के लिए पाले जाने वाले पशुओं पर विश्व का एक तिहाई साफ पानी व विश्व की एक तिहाई भूमि का इस्तेमाल होता है (जबकि इनको मनुष्यों के भोजन हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है)।
गांधी जयंती के अवसर पर कत्लखानों एवं माँस बिक्री की दुकानों को बंद करने से जनता को स्वास्थ वर्धक, पर्यावरण अनुकूल एवं मानवीय भोजन ग्रहण करने के लिए प्रेरणा मिलेगी जो इन्सानों एवं पशुओं, दोनों के लिए लाभकारी है।
इस विषय पर आपकी प्रतिक्रिया जानने का विनम्र अनुरोध करते हैं। आप मुझ से [email protected] पर ईमेल के द्वारा संपर्क कर सकते हैं। आपके बहुमूल्य समय के लिए आपका धन्यवाद। आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।
भवदीया,
डॉ. किरन आहूजा (BPTh, DNHE)
वीगन आऊटरीच कोर्डिनेटर
PETA इंडिया
संपर्क
Hiraj Laljani; [email protected]
Dr Kiran Ahuja ; [email protected]
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