शिल्पा शेट्टी का ब्रांड WickedGüd, सामंथा रूथ प्रभु का ब्रांड ‘नॉरिश यू’ और वरुण धवन का ब्रांड Fast&Up, PETA इंडिया के वर्ष 2024 के ‘वीगन फूड अवार्ड्स’ के विजेताओं की सूची में शामिल

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25 November 2024

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विश्व वीगन माह (नवंबर) के उपलक्ष्य में, और एक सर्वे का जवाब देते हुए 47% से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं ने कहा कि वह पशुओं के दर्द के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए केवल पेड़-पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, PETA इंडिया द्वारा इस वर्ष के वीगन फूड अवार्डस की घोषणा की गयी है। इन दयालु अवार्ड वीजेताओं की सूची में, बॉलीवुड स्टार शिल्पा शेट्टी द्वारा समर्थित ब्रांड विकेडगुड, सर्वश्रेष्ट वीगन स्नैक्स के लिए वीगनवाईब स्नैक्स फ्यूजन, सर्वश्रेष्ठ वीगन दूध के लिए नॉरिश यू के मिलेट mlk ओरिजिनल को जिसके निवेशकों में अभिनेत्री सामंथा रूथ प्रभु भी शामिल हैं, जबकि अभिनेता वरुण धवन द्वारा समर्थित फास्ट एंड अप ने अपने स्वादिष्ट चॉकलेट फ्लेवर प्लांट प्रोटीन के लिए सर्वश्रेष्ठ वीगन प्रोटीन पाउडर का पुरस्कार जीता है।

अन्य विजेताओं की सूची नीचे दी गई है:

PETA इंडिया की वीगन प्रोजेक्ट्स मैनेजर डॉ. किरण आहूजा कहती हैं, “खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) समर्थित वीगन बाजरा आइसक्रीम और पोषण विशेषज्ञ द्वारा तैयार वीगन दही से लेकर पूरी तरह से पशुओं से प्राप्त सामग्री के बिना बिना तैयार की गई पारंपरिक मिठाइयों तक – ये विजेता दयालु और स्वास्थ्य वर्धक विकल्पों के लिए नए स्टेंडर्ड स्थापित कर रहे हैं। PETA इंडिया सभी को प्रेरित कर रहा है कि आज आसानी से उपलब्ध हो जा रहे वीगन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को अपनाएं जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पशुओं को भी पीड़ा से बचाने मे सहायक है और साथ ही साथ हमारे ग्रह तथा हमारे स्वास्थ्य की रक्षा भी करते हैं।”

सूअर अपना नाम पहचानते हैं, मुर्गियां एक-दूसरे को देखकर सीखती हैं, कुछ मछलियां अपने संभावित साथियों के लिए गाना गाकर उन्हें लुभाती हैं, और गायें समय के साथ दोस्त बनाती हैं और यहां तक कि उन लोगों के प्रति दुर्भावना भी रखती हैं जो उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं।

विश्व स्तर पर, अनुमानतः 92.2 बिलियन स्थलीय पशुओं का हर वर्ष वध किया जाता है, तथा उनमें से अधिकांश को कठोर कैद में जीवन यापन करना पड़ता है। अंडों के लिए शोषण सहन करने वाली मुर्गियों को इतने छोटे पिंजरों में रखा जाता है कि वे अपने पंख नहीं फैला सकतीं; नर सूअरों और अन्य कई पशुओं को बिना कोई दर्द निवारक दवा दिए ही उनकी नसबंदी कर दी जाती है और मछलियों को पानी से बाहर निकालकर कुचल दिया जाता है, दम घोंट दिया जाता है या काट कर उनकी आँतें निकाल दी जाती हैं, और यह सब तब किया जाता है जब वे पूरी तरह होश में होती हैं। गायों और भैंसों में जब दूध देने की क्षमता नहीं रह जाती तब उन्हें माँस और चमड़े के लिए मरने हेतू इतनी बड़ी संख्या में वाहनों में ठूंस-ठूस कर बूचड़खाने ले जाया जाता है कि वहाँ तक पहुँचने से पहले अक्सर रास्ते में उनकी हड्डियां टूट जाती हैं।

PETA इंडिया का कहना है कि मांस का त्याग करने से पशुओं की जान तो बचती है साथ ही साथ वीगन भोजन से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे से पीड़ित होने का खतरा कम हो जाता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके जलवायु आपदा से लड़ने में मदद मिलती है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “पशु हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं” प्रजातिवाद का विरोध करता है जो एक ऐसी विचारधारा है जिसमे इंसान स्वयं को सर्वोच्च मानकर संसार में अन्य सभी प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है।

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