अवैध दौड़ के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तीन बैलों की गंभीर चोटों के कारण हुई मौत के बाद FIR दर्ज़, PETA इंडिया ने गहन पुलिस जांच की मांग करी
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06 December 2024
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नवी मुंबई – टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के माध्यम से यह जानकारी मिलने के बाद कि अवैध दौड़ के लिए इस्तेमाल होने वाले तीन बैलों ने मुंबई के ‘बाई सकरबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल फॉर एनिमल्स’ में गंभीर चोटों के कारण अपने प्राण त्याग दिए, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने नवी मुंबई पुलिस के साथ मिलकर अपराधियों के खिलाफ़ FIR दर्ज़ कराया। इस प्रकार की क्रूर दोड़ों में इस्तेमाल होने के कारण इन सभी बैलों के आगे वाले दोनों पैर टूटे हुए थे और विभिन्न प्रयासों के बावजूद इनकी जान नहीं बचाई जा सकी। सबसे अंत में अपने प्राण त्यागने वाले बैल का पोस्टमॉर्टम, FIR दर्ज़ होने के एक दिन बाद किया गया था।
तलोजा गांव के एक बैल की हत्या के खिलाफ़ तलोजा पुलिस स्टेशन द्वारा शनिवार को FIR दर्ज़ करी गयी थी। यह FIR ‘भारतीय न्याय संहिता, 2023’ की धारा 325 के अंतर्गत दर्ज़ करी गयी है, जिसके अंतर्गत किसी भी पशु को मारने, अपंग बनाने, जहर देने या किसी भी प्रकार की शारीरिक क्षति पहुंचाना अपराध माना गया है। PETA इंडिया ने पुलिस से मामले की गहन जांच कर, इन बैलों की मौत के सही कारण पता करने का अनुरोध किया है।
PETA इंडिया के क्रुएल्टी रिस्पॉन्स कोऑर्डिनेटर वीरेंद्र सिंह ने कहा, “बैलों की दौड़ क्रूर होती हैं क्योंकि इसमें प्रतिभागियों द्वारा पशुओं को हथियारों से डरा-धमकाकर और मार-पीटकर दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके चलते बैलों को अत्यधिक शारीरिक तनाव, पीड़ा और चोटों का सामना करना पड़ता है। इन पशुओं का जीवन पहले से ही इतना कठिन है कि हमें इन्हें मार पीटकर दौड़ने के लिए बाध्य करके अतिरिक्त पीड़ा सहने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। हम नवी मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त, श्री संजय येनपुरे, IPS का आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने उचित कानूनी कार्यवाही करके पशु क्रूरता के खिलाफ़ कदम उठाया और संबंधित मामले में FIR दर्ज़ करने का निर्देश दिया।“
अपने शिकायत पत्र में, PETA इंडिया ने उल्लेखित किया कि ‘पशु क्रूरता निवारण (महाराष्ट्र संशोधन) अधिनियम, 2017’ के अनुसार, महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ों को केवल ‘पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960’ का अनुपालन करते हुए आयोजित किया जा सकता है। संशोधित PCA अधिनियम, 1960 की धारा 3(3) के अनुसार, धारा 3(2) में उल्लेखित देखभाल के कर्तव्य का उल्लंघन एक दंडनीय अपराध है, जिसके खिलाफ़ पांच लाख रुपये तक के जुर्माने या तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।
PETA इंडिया जो इस धारणा में विश्वास रखता है कि “पशु हमारे मनोरंजन हेतु प्रयोग होने या दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्योंकि यह एक ऐसी विचारधारा है जिसमे मनुष्य इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य समस्त प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें X, Facebook, व Instagram सोशल मीडिया पर फॉलो करें।