बड़ी जीत: PETA इंडिया की शिकायत के बाद सांगली में घोड़ों की अवैध दौड़ पर रोक लगाई गई
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04 October 2024
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सांगली – यह जानकारी मिलने के बाद कि 29 सितंबर को सांगली जिले के कवठे महांकाल तहसील स्थित बोरगांव टोल प्लाजा के पास घोड़ों की अवैध दौड़ का आयोजन किया जाना निश्चित हुआ है, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा सांगली के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर तात्कालिक रूप से कार्रवाई करी गई। इन दौड़ों का प्रचार-प्रसार पहलवान और शिव सेना (UBT) पार्टी के राजनेता चंद्रहार पाटिल द्वारा अपने इंस्टाग्राम पेज पर किया गया था जबकि इनका आयोजन पशु संरक्षण कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है।
PETA इंडिया द्वारा अपने शिकायत पत्र में उल्लेखित किया गया कि ‘प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) नियम, 2001’ और ‘प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) संशोधन नियम, 2001’ के अंतर्गत, किसी भी पशु का भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) के पास पंजीकरण कराए बगैर प्रशिक्षण, प्रदर्शन या करतब हेतु प्रयोग पूरी तरह से गैर-कानूनी है। इस प्रकार की पशु दौड़ों का आयोजन ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ और ‘पशु परिवहन (संशोधन) नियम, 2001’ का भी उल्लंघन है। इस मामले में, PETA इंडिया की क्रुएल्टी रिस्पांस डिवीजन ने सांगली के पुलिस अधीक्षक और अतिरिक्त अधीक्षक के साथ मिलकर कार्य किया। हमारी कार्यवाही के परिणामस्वरूप, इस दौड़ के आयोजन को रद्द कर दिया गया जिससे कई घोड़ों को शारीरिक दर्द एवं मानसिक पीड़ा से बचाया गया।
PETA इंडिया की क्रूएल्टी रिस्पोंस कोर्डिनेटर सुनयना बसु ने कहा, “घोड़ों की दौड़ बहुत क्रूर होती हैं क्योंकि इसमें प्रतिभागियों द्वारा पशुओं को हथियारों से डरा-धमकाकर और मार-पीटकर दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके चलते घोड़ों को अत्यधिक शारीरिक तनाव, पीड़ा और चोटों का सामना करना पड़ता है। इन पशुओं का जीवन पहले से ही इतना कठिन है कि हमें इन्हें मार पीटकर दौड़ने के लिए बाध्य करके अतिरिक्त पीड़ा सहने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। हम सांगली पुलिस और विशेष रूप से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती रितु खोखर, IPS का आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने उचित कानूनी कार्यवाही करके पशु क्रूरता के खिलाफ़ कदम उठाया।“
वर्ष 2016 में, राजस्थान उच्च न्यायालय ने AWBI की एक रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद राजस्थान में तांगा दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें उल्लेखित किया गया था कि जब घोड़ों को शोरगुल वाले माहौल में दर्शकों के बीच दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उन्हें डर, पीड़ा एवं अत्यधिक मानसिक कष्ट का सामना करना पड़ता है।
PETA इंडिया जो इस धारणा में विश्वास रखता है कि “पशु हमारे मनोरंजन हेतु प्रयोग होने या दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्योंकि यह एक ऐसी विचारधारा है जिसमे मनुष्य इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य समस्त प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें X, Facebook, व Instagram सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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