जीत – भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने जानलेवा पशु परीक्षणों को समाप्त किया
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22 July 2020
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PETA इंडिया की अपील पर मानवीय वेक्सीन मोनोग्राफ में से गिनी पिग्स (चूहों एवं छुछुंदरों) पर “असामान्य विषक्तता परीक्षण” ना करने का फैंसला
नई दिल्ली- पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया, भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) एवं उद्योग जगत की अन्य स्टेकहोल्डर का धन्यवाद। IPC ने आज वैक्सीन मोनोग्राफ मे से ‘Abnormal Toxicity Test’ (असामान्य विषक्तता परीक्षण) को हटा दिया है। भारतीय फार्माकोपिया आयोग जो देश में निर्मित होने वाली एवं बिक्री होने वाली दवाओं हेतु परीक्षणों की अनुमति देता है व उनका संकलन करता है। PETA समूह लंबे समय से प्रतीक्षित सकारात्मक और प्रगतिशील कदम का स्वागत करता है। इस निर्णय के बाद हर साल हजारों निर्दोष जीवों की जन बच सकेगी।
इन परीक्षणों में गिनी पिग्स एवं चूहों को एक टीका लगाया जाता है और यदि उनमें से कोई भी जीव नहीं मरता तो उस दवा को मानवीय इस्तेमाल हेतु सुरक्षित माना लिया जाता है। परीक्षणों के दौरान अगर कोई जानवर ज़िंदा रह भी जाता है तो उसे बाद में मार दिया जाता है। इस परिक्षण की अनिवार्यता को समाप्त करने से प्रति वर्ष हजारों जीवों की जानें बच जाएगी। “असामान्य विषक्तता परीक्षण” के एतिहासिक आंकड़ों की व्यापक समीक्षाओं से पता चला है कि दवाओं की जांच व सत्यता प्रमाणन हेतु जीवों पर परीक्षण की जगह अच्छी उत्पादन कार्यप्रणाली को अपनाया जाना बेहतर उपाय है।
PETA इंडिया जो कि IPC की ‘पशुओं की जगह वैकल्पिक परिक्षणों’ पर बनी सब-कमेटी का सदस्य है व जिसे इन्सानों पर इस्तेमाल होने वाली दवाओं में पशुओं पर परीक्षण से संबन्धित चर्चा में एक विशेषज्ञ के रूप में बुलाया जाता है, लंबे समय से यह वकालत करता आया है कि इस तरह के तर्कहीन परिक्षणों में जीवों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्यूंकि जानवरों पर परीक्षण करने से मिलने वाले परिणामों से यह साबित नहीं होता कि यह दवाएं मनुष्यों के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हैं उल्टा परीक्षण के दौरान निर्दोष जीवों की जान जरूर चली जाती है।
इन परिक्षणों को हटाने के लिए वर्ष 2016 से विशेषज्ञों के समूहों में आपसी चर्चा चल रही है। वर्ष 2018 में आयोग ने PETA इंडिया के परामर्श के आधार पर ‘भारतीय फार्माकोपिया में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव शामिल किये । सर्टिफ़ाईड गुड मैनीफ़ैक्चरिंग प्रैक्टिसेस को फॉलो करने वाली कंपनियाँ, राष्ट्रीय विनयामक संस्थाओं की संस्तुति पर इन पशु परिक्षणों को समाप्त कर सकती हैं।
दिनांक 29 अप्रैल 2019 को आयोजित IPC विशेषज्ञों की सातवीं समूह बैठक में पशुओं पर परीक्षण ना किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था और वैज्ञानिक निकाय कीओर से इस प्रस्ताव पर हरी झंडी मिलने के बाद इसे दिनांक मई 2020 को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था। अब आयोग द्वारा प्रकाशित Amendment List-06 to IP 2018 (आईपी को भेजी गयी संशोधन सूची) के अनुसार के तत्काल प्रभाव से यह मान लिया गया है कि इन्सानों के लिए बनने वाले टीकों हेतु इस तरह के परीक्षण की जरूरत नहीं है।
PETA इंडिया की साइंस पॉलिसी एडवाइजर डॉ. दिप्ति कपूर कहती हैं- “IPC द्वारा उठाए गए इस ऐतिहासिक कदम से हजारों गिनी पिग्स एवं चूहों को इस तरह के क्रूर और वैज्ञानिक रूप से दोषपूर्ण परीक्षणों में जान नहीं गवानी पड़ेगी। आने वाले समय में विज्ञान से संबन्धित गतिविधियों में पशुओं का इस्तेमाल नहीं होगा। PETA इंडिया यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता रहेगा कि, बाकी सभी पशु प्रयोगों को आधुनिक एवं मानवीय तरीकों से बदल दिया जाए”
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारे प्रयोग किए जाने के लिए नहीं हैं”, संज्ञान लेता है कि मनुष्यों और अन्य प्रजातियों की शारीरिक संरचना में काफी अंतर है इस हेतु पशुओं पर किए गए प्रयोगों से मिले परिणाम अक्सर भ्रामक और गलत होते हैं व उन्हें व मानवीय इस्तेमाल का आधार मानना उचित नहीं है।
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