अदालत ने PETA इंडिया को आमेर के किले पर ‘मालती’ हथिनी के साथ हुई क्रूरता के सबूत पेश करने की इजाजत दी
PETA समूह, अदालत में चल रहे उस केस का शिकायतकर्ता है जिसमे PETA ने दावा किया था की मालती हथिनी के साथ उसके देखभाल कर्ताओं द्वारा लगातार मारपीट की जा रही है।
जयपुर- शनिवार को आमेर के प्रथम श्रेणी न्यायायिक मजिस्ट्रेट के अदालत ने पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) को इजाजत दी है की वो 44 नंबर हाथी जिसे मालती केसाथ हुई क्रूरता एवं मारपीट के सबूत पेश करे। पीईटीए इंडिया ने अपनी याचिका में कहा था की मालती जिसे 44 नंबर हाथी के रूप में जाना जाता है, के साथ उसके देखभाल कर्ताओं ने माह जून 2017 में आमेर के किले पर ही डंडों के साथ बुरी तरह मारपीट की गयी थी। अदालत के इस आदेश के बाद PETA इंडिया को इजाजत मिल गयी है की वो उस फोटोग्राफ को अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर सके जिसमे अभियुक्त देखभाल मालती को डंडों से पीट रहे हैं। इस तस्वीर को एक अमेरिकी पर्यटक ने अपने कैमरे में दर्ज किया था। यह तस्वीर अदालत की कार्यवाही एवं अंतिम निर्णय एक अहम साक्ष्य की भूमिका निभाएगी ।
जब मार्च 2019 में मालती के साथ उसके देखभालकर्ता द्वारा दुबारा मारपीट किए जाने की घटना संज्ञान में आने पर PETA इंडिया ने तत्काल रूप से राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री सुखराम विशनोई जी को एक पत्र लिखकर आग्रह किया था की उक्त हाथी को तुरंत अपने कब्जे में लेकर उसे किसी पुरनरवास केंद्र भेजा जाए। इस पर हुई जवाबी कार्यवाही में मंत्री जी ने मुख्य वन्यजीव वार्डन को सख्त आदेश दिये थे कि मालती को तत्काल रूप से अपने कब्जे में लिया जाए व उसे किसी प्रतिष्ठित पुनर्वास केंद्र भेजा जाए। लेकिन अभी तक मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा इस आदेश पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।
PETA इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर ऑफ एडवोकसी निकुंज शर्मा कहते हैं – “मालती को लगातार यातनाएं दी जा रही है, यह मालती व उसके जैसे प्राणियों के लिए नर्क समान है। हाथियों के अच्छी देखभाल के लिए यह आवश्यक है की उनके साथ शारीरिक एवं मानसिक रूप से मानवता भरा बर्ताव किया जाए। जब हाथियों को कैदी बनाकर उनके साथ मारपीट की जाती है व यातनाएं दी जाती हैं तो वह अपने आसपास के लोगों पर हमला कर करके अपने तनाव को दर्शाते हैं। हम मुख्य वन्यजीव वार्डन से अनुरोध करते हैं कि वह मालती को आज़ाद करके न सिर्फ उसकी बल्कि अनेकों पर्यटकों एवं सामान्य जनता की जिंदगी की भी रक्षा करें।“
PETA इंडिया- जिसके मूल सिद्धान्तों में से एक, ‘‘जानवर हमारे मनोरंजन या किसी भी अन्य प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं”, इस बात का संज्ञान लेता है कि वर्ष 2018 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा अधिकृत जयपुर में बंदी हाथियों पर की गयी एक जांच रिपोर्ट में पाया गया कि “100 हाथियों में से, 44 नंबर हाथी जिसका नाम “मालती” है वह बेहद तनाव एवं घबराहट का शिकार थी व वर्ष 2017 में उसका मानसिक उन्मत्तावस्था का इतिहास भी रहा है”। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि उसके मालिक के पास उसके स्वामित्व का जो प्रमाणपत्र है वह अमान्य है व उसके हितों के साथ समझौता किया गया है। उसके पैर के नाखून बढ़े हुए, टूटे-फूटे, क्षतिगृस्त व बेरंग हैं। उसके नाखूनों के आसपास की तवचा सख्त, सूजी हुई व कटी-फटी है। उसके पैरों के तलवे ऊबड़ खाबड़, चोटिल व दरारों से भरे हुए हैं। उसके ब्लड प्रोफाइल में एसिनोंफिलिया तथा न्यूट्रोपेनिया के लक्षण पाये गए। एसिनोंफिलिया यानि शरीर में अलर्जी, दवाओं का अत्यधिक सेवन व परजीवी की उपस्थिती तथा न्यूट्रोपेनिया यानि खून में असामान्य रूप से कुछ न्यूट्रोफिल की उपस्थिति जो संक्रमण की संवेदनशीलता को बढ़ाती है। इस जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया मालती एवं उसके देखभाल कर्ता आमेर के किले या हाथीगांव पर हाथी सवारी कराये जाने हेतु ‘भारतीय पशु कल्याण विभाग’ के तहत पंजीकृत होने के मापदण्डों को पूरा नहीं करते।
विवाहित जोड़े विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने भी मालती की दुर्दशा की निंदा करते हुए उसकी रिहाई का अनुरोध किया है।