थाली में भोजन के रूप में ‘खून से लथपथ’ एक महिला लोगों से वीगन बनने का अनुरोध करेगी

‘अंतराष्ट्रीय शांति दिवस’ से ठीक पहले PETA इंडिया लोगों से दयालु बनने का अनुरोध करेगा

लखनऊ – इस वर्ष के ‘अंतराष्ट्रीय शांति दिवस (21 सितंबर)’ से ठीक पहले PETA इंडिया की एक समर्थक खून से लथपथ होकर एक बड़ी सी प्लेट में हरी सब्जियों, विशाल चाकू व कांटे वाले चम्मच के साथ भोजन के रूप में प्रदर्शन करते हुए आते जाते लोगों को संदेश देगी की कोई भी प्राणी इस तरह कटकर किसी का भोजन नहीं बनना चाहता।

समय   : शुक्रवार 20 सितंबर दोपहर 12 बजे

स्थान   : गांधी प्रतिमा, हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

PETA इंडिया की कैम्पेन कोर्डिनेटर राधिका सूर्यवंशी कहती हैं – “मांस उद्योग में कष्टभरे जीवन तथा दर्दनाक मौतों से पशुओं को बचाने का सबसे बेहतरीन उपाय यही है की हम स्वस्थ्य व स्वादिष्ट वीगन भोजन अपनाए। इसलिए PETA इंडिया देखभाल करने वाले लोगों को प्रेरित कर रहा है कि इस “विश्व शांति दिवस” को मानते हुए वह ना सिर्फ आज बल्कि वर्ष के हर दिन किसी भी पशु पक्षी का मांस न खाये।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि ‘पशु हमारा भोजन बनने के लिए नहीं है’, इंगित करता है कि भोजन के लिए इस्तेमाल होने वाले पशु भयानक पीड़ाओं का शिकार होते हैं जिसे इस “ग्लास वाल” नामक विडियो में भी देखा जा सकता है। पॉल्ट्री फार्म्स पर मुर्गियों को हजारों की तादात में छोटे शेड में रखा जाता है तथा जबरन मलमूत्र एवं गंदगी में खड़े रखे जाने से वहाँ अमोनिया की परते जम जाती है। इन मुर्गियों को उन सबसे वंचित रखा जाता है जो प्रकृतिक रूप से उनके लिए जरूरी होता है । इन्सानों के भोजन के लिए मार दिये जाने वाले मुर्गों एवं अन्य पशुओं को अत्यधिक संख्या में वाहनों में ठूस ठूस कर भरा जाता है व कत्लखानों तक ले जाने के दौरान उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं व दम घुटने के कारण अनेकों की तो रास्ते में ही मौत हो जाती है। कत्लखानों में कर्मी बड़ी बेरहमी के साथ धीमी मौत मरने के लिए चाकू से बकरियों, भेड़ों व अन्य पशुओं का गला रेंत देते हैं। समुद्र से पकड़ी जाने वाली मचलियाँ या तो नाव की डेक पर ही दम घुटने से मर जाती है या फिर कुछ के सचेत अवस्था में होने के बावजूद भी उनको काट दिया जाता है।

प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवनशैली अपनाता है वो हर साल लगभग 200 पशुओं की जिंदगी बचाता है। इसके अलावा, मांस के लिए पशुओं को पालना ही पेयजल प्रदूषण एवं भूमि पतन का बड़ा कारण है, वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह कहा गया था कि जलवायु के गंभीर परिणामों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर वीगन जीवनशैली को अपनाना बेहद आवश्यक है।

PETA इंडिया प्रजनवाद का विरोध करता है, यह मनुष्य की वर्चस्ववादी विचारधारा का प्रतीक है।