सफलता : PETA की पहल के तहत अत्यधिक भार ढ़ोने वाले बैलों को काम से मुक्ति, उनकी जगह बैलगाड़ी मालिकों को ई रिक्शा

मशीनीकरण परियोजना से लाभान्वित बैलगाड़ी मालिकों ने अपने बैलों को भार ढ़ोने से मुक्त किया, बैल अब आजीवन पुनर्वास केंद्र में आराम करेंगे। सरकार एवं उद्योग कंपनियाँ भी PETA की इस मुहीम में शामिल

दिल्ली: दिल्ली मशीनीकरण परियोजना के तहत अत्यधिक भार ढ़ोने वाले व दुर्व्यवहार सहने वाले जानवरों जैसे बैल, घोड़े, गधे एवं खच्चरों को बचाने तथा आय हेतु इन जानवरों पर आधारित गरीब परिवारों को आय का बेहतर विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने 11 बैलगाड़ी मालिकों को उनके बैलों की जगह ई-रिक्शा प्रदान किया। इन बैलगाड़ी मालिकों को ई-रिक्शा के बदले अपने बैल को काम से मुक्त करने के लिए रिवाल्विंग फ़ंड की सुविधा भी प्रदान की है। PETA इंडिया द्वारा समस्त 11 बैलों को दिल्ली के बाहर एक पुनर्वास केंद्र भेज दिया गया है जहां उनको निरंतर भोजन, आराम व चिकित्सीय सुविधा मिलेगी व अब उनको कभी भी यातायात से भरी पुरानी दिल्ली की सड़कों पर भारी भरकम भार नहीं ढोना पड़ेगा।

बैल, ई-रिक्शा तथा प्रसन्न मालिकों के फोटो यहां उपलब्ध हैं। इसी परियोजना के तहत जो बैलगाड़ी मालिक पहले से लाभान्वित हो चुके हैं वे साक्षात्कार के लिए उलपब्ध हैं।

PETA इंडिया मशीनीकरण परियोजना के प्रोजेक्ट कोर्डीनेटर महेश त्यागी कहते हैं – ““जानवरों को थकावट, चोटों व कुपोषण के बावजूद उनसे जबरन भारी माल ढुलवाया जाता है। प्रदूषण रहित ई-रिक्शा इन जानवरों को काम से मुक्त करने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है व इस से मालिकों की आय में भी वृद्धि होती है। दिल्ली की सड़कों को सुरक्षित रखने तथा पशु वाहन मुक्त भविष्य की ओर ले जाने हेतु हम उम्मीन्द करते हैं कि एक दिन दिल्ली की सड़के पूरी तरह से पशु वाहन मुक्त हो जाएंगी।“

दिल्ली के 20 बाज़ारों में लगभग 250 बैलगाड़ियाँ तथा 7 बाज़ारों में लगभग 150 घोड़े गाडियाँ माल ढ़ोने का काम करते हैं। गाड़ीमालिक आय के लालच में इन जानवरों से बीमारी की हालत में भी जबरन माल से लदी गाड़ी खिचवाने के लिए दर्दनाक नाक की रस्सी तथा मुह की नुकीली लगाम का इस्तेमाल करते हैं। यह जानवर पर्याप्त भोजन, पानी एवं छाया के बिना तप्ति धूप में माल ढुलाई करते हैं। जानवरों में गंभीर व दर्दनाक बीमारियाँ जैसे घाव, फ़ोड़े, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द एवं पित्त होने के बावजूद उनको जरूरत भर की चिकित्सा तक नहीं मिल पाती।

PETA इंडिया जो इस सरल सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है” इस बात का संज्ञान लेता है कि दिल्ली मशीनीकरण परियोजना से लाभान्वित परिवारों को ई-रिक्शा मिल जाने से उनके जीवन में नाटकीय रूप से सकारात्मक बदलाव आया है, उनकी आय के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति सुद्रण हुई है। दिल्ली सरकार, ई-रिक्शा विक्रेता तथा लोन प्रदान करने वाली कंपनी के सहयोग से PETA इंडिया का उद्देश्य है कि सम्पूर्ण दिल्ली में मशीनीकरण परियोजना का विस्तार कर दिल्ली को पूर्णतया पशु वाहन मुक्त बनाया जाए। PETA इंडिया इस बात को इंगित करना चाहता है कि बैल के बीमार हो जाने तथा गाड़ी न खींच पाने व दिल्ली के कुछ इलाकों में बैलगाड़ी प्रतिबंधित होने से बैलगाड़ी मालिकों की आय प्रभावित होती थी जो कि अब ई रिक्शा मिल जाने से उन्हे इस प्रकार की कोई भी समस्या नही होती, वह अपनी इच्छानुसार कार्य करके आय अर्जित करते हैं।

दिल्ली परिवहन विभाग ने शहर में ई-रिक्शा के संचालन हेतु एक निर्देशिका का निर्माण किया है। इसी विभाग के द्वारा प्रत्येक ई-रिक्शा मालिक को नया रिक्शा लेने पर 30,000 रुपए का अनुदान भी प्रदान किया जाता है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com. पर जाए

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